तान्या दीवान
आई टी कन्सल्टेन्ट तान्या दीवान दस वर्ष पूर्व जब डिग्री करने लन्दन आई तो उसके मम्मी डैडी ने अपने स्टेटस के मुताबिक उसे केनिसिंगटन का यह फ्लैट और डैटसन निसान उपहार स्वरूप, तमाम शेयर सर्टिफिकेट्स के साथ दिये थे। ममी उसके साथ कई दिनों तक रहीं। वह चाहती थी, तान्या अपने व्यक्तित्व के पूर्ण विकास के साथ साथ समाज में अपनी पहचान खुद बनाये। इसीलिये उन्होंने तान्या को ब्रिटेन के अच्छे स्कूल में पढाया। उसे महत्वाकांक्षी और व्यवहारिक बनाया। फ्लैट को पूर्ण रूप से व्यवस्थित कर, चलते चलते उन्होंने नेह से दुलारते हुए, किन्तु तनिक कसे हुए स्वर में कहा, '' देख तान्या, पढार्ई लिखाई में कोई कोताही नहीं होनी चाहिये। लन्दन में तू अकेली रहेगी। टरह तरह के दोस्त बनेंगे, पर शादी ब्याह का चक्कर मत पालना। तुझे अपना कैरियर बनाना है। अपनी एक विशिष्ट, प्रभावशाली पहचान बनानी है।''
लन्दन के खुले और उनमुक्त वातावरण में तान्या दीवान का व्यक्तित्व खिल उठा। वह जल्दी ही महानगरी के सारे दुरूह रास्ते पहचान गई। व्यवहार कुशल तो ऐसी कि क्या कोई कूटनीतिज्ञ होगा।पढाई लिखाई उसने जम कर किया। ममी डैडी को कभी कुछ कहने का मौका नहीं दिया। आनर्स के साथ डिग्री, मास्टर्स, पी एच डी और फिर नौकरी मिली तो साची एण्ड साची में। धन दौलत शोहरत सब तान्या के कदम तले। सेमिनार, कानफ्रेन्सेज, क्लबिंग, हॉलीडेज, ईन्टरव्यूज, महिला मित्रों के साथ साथ ढेरों पुरुष मित्र। व्यवसाय के साथ साथ हर तरह का व्यक्तिगत अनुभव। नौकरी और गाडीऔर गाडी क़े बदलते मॉडल के साथ मित्रों के दायरे और घेरे भी ब्दलते। तान्या ने अपने जीवन को मन मुताबिक संवारा। ममी डैडी ने कभी दखलन्दाजी नहीं की।
तान्या समय की मांग को खूब समझती थी। मां बाप सुरक्षित और आश्वस्त जीवन के बहुत महत्वपूर्ण केन्द्र बिन्दु हैं। जिन्दगी की तेज रफ्तार में जब कभी मम्मी का स्वर किसी भी वजह से बदला या उखडा लगता तो वह किसी न किसी बहाने कावेन्ट्री जा कर उनसे लाड दुलार भी कर करा आती थी। मम्मी को खुश करने के लिये ज्यादा कुछ नहीं बस उनके साथ रात देर देर तक हिन्दी फिल्म देखना फिर दूसरे दिन उनके डायलॉग बोल बोल कर उन्हें हंसाना। डैडी के साथ शतरंज खेलना, चीटिंग करके उन्हें मात देना और डैडी का प्यार से उसकी दी हुई मात स्वीकार करना, क्रिकेट पर बहस करना। शादी की बात आये तो जॉब के कमिटमेन्ट की दुहाई देना और काल्पनिक शादी शुदा दोस्तों के कैरियर की दुर्दशा का नाटकीय वर्णन करना। जब वह मम्मी डैडी का मन बहला कर लन्दन वापस आती तब परिवार, मम्मी डैडी और उनकी तमाम फनी मान्यताएं और मूल्य उसके दिमाग से या तो निकल चुके होते या अवचेतन में कहीं आराम करने लगते। मम्मी डैडी, बेटी के सरस व्यवहार, ख्याति और प्रगति पर खुश होते। मित्रों और सम्बन्धियों से उसकी चर्चा करते नहीं थकते।
काफी दिनों से तान्या कावेन्ट्री नहीं जा पाई थी। जीवन व्यस्त ही नहीं बहुत व्यस्त हो चला था।मम्मी दैडी से फोन पर बात हो जाती। इधर कुछ दिनों से मम्मी उसके विशेष मित्रों के बारे में पूछना नहीं भूलतीं। पर हर बार वह बडी चतुराई से ऐसे प्रश्नों को गोल कर जाती। मम्मी वैसे खुले विचारों की है पर वह उस पीढी से सम्बन्ध रखती है जो चाहे कितना भी आधुनिक हो जाये फिर भी लडक़ी की शादी जैसी परम्परा के अधिकार भरे जकडन के सम्मोहन से मुक्त नहीं हो पाता है। चाहे उनका अपना अनुभव कितने ही दर्दनाक हादसों से भरा हुआ क्यों न हो।
वैसे मम्मी डैडी ने शादी के लिये अभी तक उस पर कोई खास दबाव नहीं डाला। तान्या सोचती मम्मी डैडी उदार, सहृदय और खुले मन के हैं। घूमने फिरने, मौज मस्ती पर उन्होंने कभी कुछ नहीं कहा। पिछली बार जब वह एड्रियन और पीटर के साथ हॉली डे पर गई थी तो उन्होंने बस यही कहा था, '' इन लोगों के साथ आना जाना, दोस्ती वगैरह तो ठीक है, पर सीरियस मत होना। शादी ब्याह अपनों में ही ठीक होता है। उनका यह कहना उसे बडा ऑड और बैकवर्ड लगा। पर ऐसी बातों को हवा में उडा देना ही अच्छा है। मम्मी डैडी से मन मुटाव करना उसे कभी रास नहीं आता।
इधर पिछले कुछ दिनों से मम्मी शादी ब्याह पर कुछ ज्यादा ही बातें करने लगी हैं। इस उस के शादी की खबरें, खासतौर पर उसे सुनाने को उत्सुक रहती हैं। जब भी बात होती, हमेशा घुमा फिरा कर टोह लेने की कोशिश करतीं। कहीं वह किसी गोरे के साथ तो सीरियस नहीं हो रही है। हुंह,सीरियस, सीरियस माय फुट! यहां तो थोडा रिलैक्सेशन चाहिये, और क्या?
अभी कुछ हफ्तों पहले तान्या की मुलाकात ऐशली से संगीता के घर हुई थी। उस रात उसे ऐशली के जोक्स कुछ इतने अच्छे लगे कि लौटते समय तान्या ने ऐशली को अपने घर कॉफी पर निमन्त्रित कर लिया। उस रात एशली जोक्स सुनाते सुनाते बिस्तर में आ घुसा। ऐशली रमता जोगी है। उसके पास अपना कुछ नहीं है सिवाय कैमरे और गिटार के। वह बातों का घुडसवार है। पहले तो ऐशली उसका फ्लैटमेट बना, फिर कुक और फिर एन्टरटेनर और फोटोग्राफर। सब कुछ अच्छा खासा कन्वीनियन्ट रहा, बिना किसी कमिट्मेन्ट के। उसके होने से तान्या की बोरियत दूर हो जाती है,थकान उतर जाती है, और थोडा रिलैक्सेशन हो जाता है। घर आने पर साथ सुथरा फ्लैट फिर चीजऔर वाइन के साथ इंतजार करता ऐशली उसे बहुत अच्छा लगता है। ऐशली क्रियेटिव है। उसके फिगर को ध्यान में रखते हुए वह तरह तरह के कैलरी कन्ट्रोल्ड डिशेज बनाता है।
उस रात साढे ग्यारह बजे बदकिस्मती से ऐशली ने गफलत में सोते सोते मम्मी का फोन रिसीव कर लिया। बस मम्मी उखड ग़यीं। दूसरे दिन मदर्स डे था। वह मम्मी के मनपसन्द फूलों का बडा सा बुके लेकर घर गई। मम्मी ने फूलों को देखा तक नहीं। बस ऐशली को लेकर उस पर पिल पडीं। ख़ूब घेराई हुई। उस रोज चतुर तान्या अपनी मीठी मीठी बातों से भी मम्मी को बहला - फुसला न सकी।डैडी इस सब के बीच कुछ नहीं बोले बस चुपचाप सुनते रहे। बाद में फोन पर भरे गले से कहा,
'' तान्या तुम हमारी इकलौती औलाद हो, हम तुम्हें बहुत प्यार करते हैं, तुम्हारी खुशी के लिये हम अंग्रेज दामाद स्वीकार कर लेंगे पर एक अंग्रेज दामाद से ताल मेल बिठाने में हमारे जीवन की धूप निकल जायेगी।''
'' डैडी, मैं ने शादी के लिये कभी सोचा ही नहीं। पता नहीं मम्मी ने ऐश्ली के बारे में जाने क्या क्या सोच लिया। वह एक दोस्त ही तो है। आज है, कल उसका ट्रान्सफर किसी और ब्रान्च में हो जायेगा,तो चला जायेगा। और आप भी '' कहते कहते वह चुप हो गई। फिर बोली,
'' आय एम नॉट एट ऑल सीरियस विद् हिम ऑर एनी बडी। ओ के नाउ रिलैक्स डैड!''
मामला कुछ ज्यादा ही गंभीर है सोचते हुए उसने मम्मी डैडी को खुश करने और खुद को बहलाने के लिये उनकी शादी की पच्चीसवीं वर्षगांठ पर ऐश्वर्य से परिपूर्ण छुट्टियां कनेरी आाइलैण्ड में बुक करा दीं। दो सप्ताह तक उसने तन - मन - धन से मम्मी डैडी का जी - भर मनोरंजन किया। डैडी से घण्टों क्रिकेट, पुरानी फिल्मों, बिजनेस की पेचीदगियों और राजनीति पर बातें करती तो मम्मी से बढते अपराध, फिल्म, फैशन, कला और साहित्य पर। उन दो सप्ताह में उसने उनपर ऐसा जादू चलाया कि मम्मी डैडी की सारी शंकाएं छू मंतर हो गईं।
मुसीबत तो तब हुई जब एयरपोर्ट पर चलते चलते मम्मी ने हल्के मगर बेहद सख्त शब्दों में कहा-
'' देख तनु तूने पढाई लिखाई कर ली, नौकरी कर ली, देश विदेश घूम फिर लिया, जम कर अपनी स्वतन्त्रता का उपयोग कर लिया। जीवन के सारे अनुभव ले लिये, अब सादी कर ले। इस तरह जिन्दगी नहीं चलती। जीवन में ठहराव आना चाहिये।''
'' ओह! मम, आप यह सब क्या कह रही हैं? मेरे लाइफस्टाइल में शादी की जगह कहां है? मेरा तो एक पैर सदा हवाईजहाज में रहता है। मैं शादी का चक्कर नहीं पाल सकती हूँ। मुझे शादी की कोई जरूरत भी नहीं लगती। मैं अपने पैरों पर खडी हूँ। घर है, कार है, भारी भरकम बैंक बैलेन्स है। ढेर सारे दोस्त हैं। और फिर मेरी प्यारी मम्मी हैं। '' उसने मम्मी से लिपटते हुए, उनके गालों को चूमते हुए कहा।
'' अरे! कैसी बातें करती है?'' मम्मी ने उसे हल्के से अलग करते हुए, आंखों के घेरे में लेते हुए कहा, '' देख मैं गायनाकोलॉजिस्ट हूँ, हर तरह की लडक़ियां, औरतें मेरे पास आती हैं। तेरे अनुभव सफलता से भरे हैं तो मेरे अनुभव गहरे हैं। जिस तेज रफ्तार से तू चल रही है, उसमें अचानक ही एक दिन थकान और डिप्रेशन तुझ पर हावी हो जायेगा। फिर तेरी मानसिकता में तेजी से बदलाव आयेगा।अभी तेरे पास एक दो साल का समय है। मेरी तरफ से कोई दबाव नहीं है। पर मेरी कही बातों पर थोडा सोच कर तो देख। मेरी अच्छी बेटी।'' मम्मी ने उसे दुलराते हुए कहा।
'' मैं सोचूंगी ममी, पर शादी बडी मुश्किल चीज है। मुझे किसी की बात सुनने या साथ रहने की आदत नहीं है। मैं लोगों को राय देती हूँ, किसी की राय लेती नहीं। शादी करो तो सबकी सुनो। फिर बच्चे पैदा करो। मुझे बच्चे कच्चे तो बिलकुल ही नहीं चाहिये। यह सब मुसीबत और तकलीफ मुझसे नहीं झेली जायेगी। मुझे अपनी स्वतन्त्रता बहुत प्रिय है। माँ ओ माँ मुझ पर दबाव मत डालो।''
तभी डैडी ने आकर कहा, '' अरे! इतने दिन साथ रह कर भी तुम मां बेटी की बातें खत्म नहीं हुईं?जल्दी करो वरना हमारी कनेक्टिंग फ्लाइट मिस हो जायेगी। ओ के बाय तनु।''
'' मेरी बात पर सीरियसली सोचनामैं तेरे फोन का इंतजार करुंगी।'' कह कर मम्मी डैडी का हाथ पकड क़र ट्रांजिट लाऊंज की तरफ मुड ग़ईं।
वैसे तान्या लम्बी दोस्ती पसन्द नहीं करती, पर ऐशली के साथ उसका लम्बा और मधुर सम्बन्ध अनजाने में बिना किसी कमिटमेन्ट के हो गया। लडक़ियों से दोस्ती करने में माहिर, ऐशली शादी को बरबादी, बेवकूफी और किसी खूबसूरत रिश्ते को खत्म करने की साजिश मानता है। इस विषय पर तान्या की उससे कई बार छोटी मोटी बहस हो चुकी है। पर इधर मम्मी डेडी ऐशली को लेकर आतंकित हो उठे हैं। और उधर ऐशली भी कुछ ज्यादा ही भाव खाने लगा था। आखिरकार तान्या को उसे भगाना पडा। कोई कमिटमेन्ट तो था नहीं। पर कमबख्त याद तो आ ही जाता है। तान्या को पहली बार लगा, मां की बातों में एक गहरा सच बैठा है। ऐशली धीरे धीरे उसकी नसों में समाने लगा था। ओह! अच्छा ही हुआ, बहुत ही अच्छा हुआ एवरी थिंग हैपेन्स फॉर द बेस्ट! फिर भी उसके जाने के बाद जब कभी वह अकेली होती है तो मन का कोई कोना उदास लगता। कभी कभी यूं ही सुबकने का दिल करता है या मन करता है डैडी की गोद में बैठ कर उनसे फिजूल की बहस करती जाये। यह सब पहले तो नहीं होता था। ऐसा क्यूं हो रहा है? क्या मां की बात ठीक है। क्या अब वह उम्र के उस दौर पर आ गयी है जब उसे स्थायी साथी चाहिये। उसने अपने सभी दोस्तों का मुआयना किया, ज्यादातर ने शादी कर ली थी और जो बचे थे, वे या तो लिव इन कर रहे थे या शादी के इरादे से किसी के साथ आ - जा रहे थे। तान्या अभी भी शादी के मूड में नहीं थी। यह शादी भी बडी मुश्किल चीज है। कहां मिलेगा उसे ऐसा कोई जो उसके लाइफ स्टाइल में एडजस्ट कर सके।
वैसे तो डैडी कभी शादी के बारे में बातचीत नहीं करते, पर पिछले हफ्ते जो कुछ उन्होंने कहा वह काफी था। वैसे भी डैडी हमेशा थोडे में ज्यादा ही कहते हैं। क्या सचमुच शादी की एक खास उम्र होती है? नहीं ! नहीं ! आजकल तो लाइफ बिगिन्स एट फोर्टी उसके पास अभी बहुत समय है, कह कर उसने अपने मन को मुक्ति दी।
इस बार क्रिसमस की छुट्टियों में जब तनु घर आई तो मम्मी डैडी ने उसके जन्मदिन पर खूब बडीऔर शानदार पार्टी दी। नये और पुराने आन्टी - अंकल जिनमें से कुछ ने तो उसे बचपन में गोद में खिलाया था, सबने उसकी सफलता पर ढेरों बधाइयां दीं। साथ ही सबने किसी न किसी बहाने उसे शादी कर लेने की राय भी दी। इधर तीन चार दिनों से मम्मी इस कोशिश में थीं कि उसे अपनी पसन्द के कुछ लडक़ों से मिलवा दे। उसे यह सब बेतुका और अजीब लगता। उसने बडे धीरज से मम्मी को समझाया कि जिस तरह से वो शादी के बारे में सोचती हैं वह उसकी सोच से बिलकुल अलग है। वह अगर शादी करेगी भी तो एक दोस्ताना कमिट्मेन्ट के लिये करेगी। फिर भी मम्मी को खुश करने के लिये उसने लडक़े देखने की औपचारिकता कई बार निभाई। फिर एक दिन उसने आंखों में मोटे मोटे आंसू भर कर मम्मी से कह दिया कि इस तरह देखा देखी वाली शादी वह कतई नहीं कर पायेगी। शी हैज टू क्लिक विद् सम वन टु गैट मैरिड। फिर वह लडक़े को खुद जानना और पहचानना चाहती है और वह भी बिना परिवार के हस्तक्षेप और दबाव के।
मम्मी सब कुछ समझते हुए भी कुछ नहीं समझ पा रही थीं। यह क्लिक होना भी क्या स्टूपिड बात है! बिना मां बाप के बीच में पडे ज़ीवन का इतना महत्वपूर्ण निर्णय उनकी लाडली - दुलारी बिटिया कैसे ले सकती है? पहली बार घर में तनाव का कुछ ऐसा माहौल बना कि महीनों तना तनी चलती रही। धीरे धीरे शीत युध्द की स्थिति आ गई। फिर कहीं मम्मी की समझ में आया कि बेटी अपने कद से ज्यादा बडी हो गयी है। हार कर मम्मी ने समझौते का रुख अख्तियार कर लिया। वह बेटी को खोना नहीं चाहती थी। सो एक दिन बोलीं - '' देख तान्या, तेरी जो मर्जी हो वह कर, पर लडक़ा अपने परिवेश का होना चाहिये। वरना तू डैडी को खो देगी।''
तान्या बहस करने के मूड में नहीं थी। वैसे भी उसे डैडी को डिफ़ाय करना कभी पसन्द नहीं था सो बोली,
'' ठीक है। मुझे थोडा समय दो। मैं अभी शादी के पचडे में नहीं पडना चाहती।''
तान्या भी तरह तरह के टैम्परैरी रिलेशनशिप्स से ऊब चुकी थी। कुछ ही दिनों में उसे लगने लगा था कि उसे भी ठहराव और कमिट्मेन्ट की आवश्यकता है, पता नहीं यह पारिवारिक दबाव का असर था या बढती उम्र का तकाज़ा।
वैसे भी वह तीस साल की होने जा रही है। मम्मी डैडी के इमोशनल सपोर्ट के अतिरिक्त उसे किसी और की भी जरूरत है। लन्दन में मजे क़रने के लिये लडक़े तो खूब मिल जाते हैं, पर जीवनसाथी बनने को प्रतिबध्द साथी नहीं मिलते। तान्या की सोच में तेजी से बदलाव आ रहा था।
उस रात पोडयम में तुहिन मजूमदार को देखा। काफी बडा गेट टु गेदर था। धीरे धीरे सभी एक दूसरे से परिचित हो रहे थे। सांवला, तीखे नाक नक्श वाला बेहद सहज सा दिखने वाला तुहिन अपने मित्रों के साथ टेबल के दूसरे सिरे पर बैठा था। थोडी ही देर में जब बातचीत का दौर चला तो उसने देखा तुहिन कोई बेहद मजेदार बात बडी ही मासूमियत से सुना रहा था। उसके अपने चेहरे पर बच्चों का सा भोलापन था। मेज पर बैठे उसके सभी साथी ठहाके पर ठहाके लगा रहे थे। '' वाओ! दिस मैन इज रियली ग्रेट।'' उसने मन ही मन कहा। उस रात उसका ध्यान खाने पर नहीं था। वह स्वयं भी तो अपने दोस्तों के साथ खिल खिल हंसती चली जा रही थी। तुहिन की अदायें उसके अन्दर अजब सी हरारत पैदा कर रही थीं। खाना खत्म होने के बाद चलते समय जब सब एक दूसरे से विदा ले रहे थे तो तुहिन ने सायास आगे बढ क़र, उससे हाथ मिलाते हुए कहा, '' यू सीम टू हैव एन्जॉयड द ईवनिंग तान्या।''
'' ओ यस, ऑफ कोर्स।'' इसके अतिरिक्त वह और कुछ कह न सकी। शबदों की ऐसी कमी! यह तान्या दीवान का व्यक्तित्व नहीं था। क्या हो गया उसे? बोली ही नहीं फूटी।
तुहिन उसे कुछ कहता हुआ सा मुस्कुराया, साथ ही वह उसके हाथों को पल भर थामे उसकी आंखों में देखता रहा।
बस वहीं उसकी बॉडी कैमिस्ट्री में हडक़म्प शुरु हुआ। क्या हुआ? कैसे हुआ? वह समझ नहीं पा रही थी। एक मधुर कम्पन! शीत लहर! एक रुपहली किरण सी निकली और उसके तन - बदन को भिगो गई। धडक़नों का उढाल जो बढा तो वोल्टेज शीर्ष पर आ गया। बडा विचित्र अनोखा अनुभव था।उसके माथे पर पसीना सा आ गया। वह आगे बढ ही न सकी। बस वहीं पास की टेबल के पास दोस्तों के साथ खडी ख़ुद को संतुलित करने की कोशिश करती, गेट से बाहर जाते तुहिन को देखती रही। तुहिन की आवाज, उसका सारा वजूद उसके दिल में उतरता चला जा रहा था। लगा कम्प्यूटर के जिस सॉफ्टवेयर की उसको तलाश थी, मिल गया। मन के डिजिटल कैमरे पर ढेरों तसवीरें अपने आप अक्स हो गयीं। उस रात उसके चारों ओर तुहिन था। रात जब उसने गिटार बजाया तो उसके तारों में एक अनोखा अधीर संगीत धुनों में बज उठा। फिर जब कंप्यूटर पर बैठी तो इंटरनेट पर तुहिन मजूमदार का ई मेल पता देर रात तक खोजती रही। वह तो अच्छा हुआ जो उसका पता वह खोज नहीं पाई! वरना न जाने क्या बेवकूफी कर बैठती। उसने खुद को खबरदार किया, '' तान्या दीवान बीहेव योर सेल्फ।''
सुबह ऑफिस जाते हुए वह अपने इस विचित्र अनुभव और मन:स्थिति के बारे में सोचती रही। शायद रात उसने कुछ और भी महसूस किया था। क्या महसूस किया था? अपने चेहरे पर तुहिन की नजरों की गर्मी को महसूस किया था। शायद सारे समय वह उसकी नजर के घेरे में थी। तो क्या तुहिन भी उसकी ओर आकर्षित है? पिकैडिली से गुजरते हुए उसने इरोज क़ी मूर्ति और उसके हाथों में पकड तीर कमान को भरपूर नजरों से देखा, प्यार के देवता यानि कामदेव, यानि क्यूपिड। यू स्टूपिड तान्या,डोन्ट बी सिली! यू आर नॉट बोर्न टू फॉल इन लव लाइक दिस एण्ड बी अ स्लेव टू समबडी कॉल्ड तुहिन मजूमदार। इडियट उसने खुद को कहा।
सुबह ई मेल चैक करने के लिये कंप्यूटर खोला तो तुहिन का ई मेल देख कर उसे लगा वह शायद पिनक में है या कि अपने होश खो बैठी है या कि वह कॉन्टेक्ट लेन्स लगाना भूल गई है या कि वह ऑफिस में नहीं बिस्तर पर पडी सोई कोई स्वप्न देख रही है। कहीं कुछ गडबड ज़रूर है। देर तक उसके बदन का रेशा थरथराता रहा। उसने कम्प्यूृटर ऑफ किया, फिर ऑन किया तुहिन का ई मेल वही का वही। माई गॉड! आई कान्ट बीलीव दिस, इट इज एबसोल्यूटली इम्पॉसिबल! तुहिन, तुहिन मजूमदार हाऊ कुड यू एक्सरे माई इनर फीलिंग्स! तुम्हें मेरे ई मेल का पता कैसे मिला? पल भर में तान्या की सोच बदल गई, दुनिया बदल गई। आग की लपटें, शीत लहरियां दोनों साथ साथ! गजब! जीवन में और खास कर तान्या दीवान के जीवन में ऐसी घटना घट सकती है, वह सोच भी नहीं सकती है। यह कैसी अनुभूति? इसका उत्स कहाँ है? मन के अन्दर, अन्दर बहुत अन्दर। ओह! तान्या दीवान, तुम फिलासॉफर नहीं हो, तुम एक प्रोफेशनल, प्रेक्टीकल ब्रिटिश इण्डियन युवा हो।सोचते हुए उसने बेवजह बालों को उंगलियों में फंसाते हुए पीछे की ओर संवारा। फिर मन ही मन बुदबुदाई, हैव आई रियली क्लिक्ड विद् हिम? पर यह तुहिन, तुहिन नाम कुछ समझ नहीं आया।कभी उससे मिली है क्या? थोडी देर बाद जब मन कुछ संतुलन में आया तो उसने मम्मी को फोन कर, बिना किसी भूमिका के पूछा,
'' मम, एक बेहद मजेदार नाम तुहिन सुनने में आया है, कैसा लगता है?''
मां ने भी उसी लहजे में कहा, '' नाम तो सुन्दर है, कुछ साहित्यिक सा लगता है। कौन है? क्या मेरी बेटी को कोई पसन्द आ गया?''
तान्या की आवाज में मतवाली कोयल की कूक साफ सुनाई दे रही थी।
'' ओह मम, ऐसा कुछ भी नहीं है। एक ई मेल आया है। साउथ हॉल प्रोफेशनल क्लब के एनुअल फंक्शन में आने का इनवीटेशन भेजा है, इस सिरफिरे तुहिन मजूमदार ने।''
'' इनवीटेशन है, तो चली जा। जाने में कोई हर्ज तो नहीं है, चली जा शायद तुझे पसन्द आ जाये। तू पहले भी तो उससे मिली होगी? घबराती क्यों है? बुलाया है तो चली जा न!'' जनम जनम की नास्तिक ममी ने मन ही मन तैंतीस करोड देवी देवताओं को मना डाला।
'' अभी कुछ सोचा नहीं।'' फिर कुछ रुक कर अधीर होकर बोली, '' बट! मम डोन्ट फोर्स मी, एण्ड डोन्ट पिन अप योर होप्स। मुझे इस तरह डेट्स में कोई रुचि नहीं है। इतनी जल्दी मैं अपनी जिन्दगी बरबाद नहीं करना चाहती। मुझे खुली हवा में सांस लेने दो।''
'' देख तान्या, कोई किसी को ऐसे ही नहीं बुलाता हैदेख तो सही, तेरे अनुभवों में एक अनुभव और जुडेग़ा। वैसे तेरी मर्जी। तेरी और सहेलियां भी तो जायेंगी। तू भी चली जा उनके साथ।'' कहते हुए मम्मी ने रिसीवर को बाएं हाथ से ढंका और पास खडे ड़ैडी के कान में धीरे से फुसफुसाईं, '' लगता है तान्या इज ईन लव। शी हैज क्लिक्ड।''
'' देखूंगी।''
मां से बात कर तान्या को सुकून मिला। मन में चल रहे तर्क वितर्क को उन्होंने एक अच्छी दिशा दी। पहले भी उसने तुहिन को कहीं देखा था क्या? उसे कुछ याद नहीं आया। कुछ खास नहीं होते हुए भी कुछ खास है इस तुहिन में, तान्या ने सोचा। बेधक दृष्टि रखने वाली तान्या क्या उस खास को बेध सकी? वह सांवला सा युवक जो सदा सहज संतुलन में रहता है, अन्य लडक़ों से कुछ हटकर है।वही सहज सा युवक आज उसके हृदय में इस तरह हलचल क्यों मचा रहा है? अरे! तान्या दीवान यह क्या दीवानगी है। एक ई - मेल ने तुम्हें इतना चंचल कर दिया? इतना उतावलापन क्यों? क्या मैं सचमुच उससे क्लिक कर गई?
तान्या दीवान ने ई मेल का जवाब तो नहीं दिया, पर यापीज क़ी उस वार्षिकी पर जश्न मनाने साउथ हॉल प्रोफेशनल क्लब गई जरूर। तुहिन से भी मिली। चिडिया - सी खूब चहकी। चंदा की किरणों सी नाची, फिर सामने बैठे तुहिन की टाई से खेलते हुए, उसने कहा, '' तुहिन, तुम्हें मेरा ई मेल पता कैसे मिला?''
'' बस मिल गया।''
'' कैसे मिल गया?''
''वह एक रहस्य है। उसे रहस्य ही रहने दो। क्या तुम्हें रहस्य अच्छे नहीं लगते?''
''अच्छे लगते हैं। सच तो यह है कि रहस्य जब तक रहस्य रहता ह,ै तभी तक उसमें आकर्षण है,अन्यथा वह साधारण है।''
तान्या ने माथे पर आये बालों को दाहिने हाथ की उंगलियों में फंसा कर पीछे की ओर संवारते हुए तुहिन की नाक को बाएं हाथ की तर्जनी से टैप करते हुए कहा, '' आज मेरा मन लिटर्स ऑफ शॅम्पेन पीने का कर रहा है।''
''ठीक, वाई विल,विल बी डन, मैम।''तुहिन ने उसके माथे पर आई शोख लट को कानों के पीछे संवारते हुए खिलन्दडे अन्दाज में कहा।और पल भर में वेटर शैम्पेन के साथ कैवियार और ढेर सारे खूबसूरत फूलों से टेबल सजा गया।
'' बट तुहिन, तुम्हें पता है शैम्पेन पी कर मैं होश गवां बैठती हूं।'' उसने तुहिन की आंखों में झांकते हुए कहा।
'' कोई बात नहीं, लेट योर हेयर डाउन। बी योरसेल्फ। मैं तुम्हें खुश देखना चाहता हूँ। फिर मैं हूं ना तुम्हारे साथ।''
तुहिन के स्वभाव की मासूम सहजता तान्या को अच्छी लगी।
तान्या ने उस दिन होश गंवाया या नहीं यह तो नहीं मालूम, पर सिर्फ चार हफ्ते बाद तान्या ने मम्मी डैडी से फोन पर कहा,
'' मैं अगले सप्ताह घर आ रही हूँ और साथ में तुहिन भी आ रहा है।
– उषा राजे सक्सेना
अप्रेल 15, 2003
Saturday, December 19, 2009
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